आयकर विभाग ने उस आयकर प्राधिकरण को निर्दिष्ट कर दिया है जिसके समक्ष देश-दर-देश रिपोर्ट पेश करने के लिए मूल निकाय और वैकल्पिक रिपोर्टिंग निकाय के विवरण को दर्ज किया जाएगा |
यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक बहुराष्ट्रीय उद्यम अपने लाभ के बारे में उस स्थान या क्षेत्राधिकार में अवश्य ही सही ढंग से जानकारी देगा जहां उसे अर्जित किया गया है, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने ‘आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण (बीईपीएस) एक्शन प्लान 13’ नामक एक कार्य योजना तैयार की थी। ‘बीईपीएस एक्शन प्लान 13’ के तहत सभी बड़े बहुराष्ट्रीय उद्यमों (एमएनई) के लिए आय के वैश्विक आवंटन, लाभ एवं अदा किए गए टैक्स के साथ-साथ उन कर क्षेत्राधिकारों में की जा रही आर्थिक गतिविधियों से जुड़े समग्र आंकड़ों वाली देश-दर-देश (सीबीसी) रिपोर्ट तैयार करना आवश्यक है जहां उनका कारोबारी संचालन होता है। संक्षेप में, सीबीसी रिपोर्ट एक वार्षिक रिटर्न है जिसमें क्षेत्राधिकार के आधार पर वित्तीय विवरणों के प्रमुख अवयवों का विस्तृत ब्यौरा होता है। सीबीसी रिपोर्ट से स्थानीय कर प्राधिकरणों को संबंधित एमएनई के राजस्व, आय, अदा किए गए एवं संचित टैक्स, रोजगार, पूंजी, बरकरार रखी गई आय, वास्तविक परिसंपत्तियों और विभिन्न कार्यकलापों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती हैं। इस सीबीसी रिपोर्ट का उपयोग राजस्व जोखिम के आकलन के लिए आयकर अधिकारियों द्वारा एक पुष्टिकरण सामग्री के रूप में किया जाता है। भारत के आयकर कानूनों के संबंधित प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक एमएनई समूह, जिसकी कोई घटक इकाई भारत में अवस्थित है, के लिए आयकर विभाग को अपनी मूल इकाई और वैकल्पिक रिपोर्टिंग इकाई के साथ-साथ उन देशों के बारे में भी सूचित करना अनिवार्य है जहां इस तरह के निकाय या इकाई अवस्थित हैं। इस तरह की मूल इकाई या वैकल्पिक रिपोर्टिंग इकाई के लिए ‘देश-दर-देश रिपोर्ट’ नामक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक है, जिसमें निम्नलिखित कुछ विशेष सूचनाएं हों: (क) प्रत्येक देश या क्षेत्र, जहां समूह का कारोबार संचालित होता है, के संबंध में आयकर पूर्व राजस्व, लाभ या हानि, अदा किए गए आयकर, संचित आयकर, वर्णित पूंजी, संचित आय, कर्मचारियों की संख्या और वास्तविक परिसंपत्तियों से जुड़ी समग्र सूचनाएं जो नकद या नकद समतुल्य नहीं हों; (ख) समूह की प्रत्येक घटक इकाई का विवरण जिसमें उस देश या क्षेत्र का उल्लेख भी शामिल हो जहां इस तरह की घटक इकाई को निगमित या संगठित या स्थापित किया गया है और जिसमें उस देश या क्षेत्र का उल्लेख भी शामिल हो जहां वह अवस्थित है; (ग) प्रत्येक घटक इकाई के मुख्य कारोबार का स्वरूप और विवरण।
उपर्युक्त उद्देश्य के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर नियम, 1962 के नियम 10डीए, 10डीबी और फॉर्म संख्या 3सीईएए से लेकर 3सीईएई को अधिसूचित किया था। आयकर (द्वितीय संशोधन) नियम, 2020 के तहत नियम 10डीए और 10डीबी में संशोधन किया गया है और इस संबंध में अधिसूचना संख्या 03/2020 दिनांक 06.01.2020 को पहले ही जारी किया जा चुका है। नियम 10डीबी के संशोधित उप-नियम (1) के अनुसार, धारा 286 के प्रयोजन के लिए आयकर प्राधिकरण दरअसल संयुक्त आयुक्त होगा, जिसे आयकर महानिदेशक (जोखिम आकलन) द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है। उपर्युक्त संशोधन के मद्देनजर और अधिनियम की धारा 286 द्वारा प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए आयकर महानिदेशक (जोखिम आकलन) ने अधिनियम की धारा 286 के प्रयोजन के लिए संयुक्त आयकर निदेशक (जोखिम आकलन)-1 को आयकर प्राधिकरण के रूप में निर्दिष्ट किया है जो अप्रैल, 2020 के पहले दिन से प्रभावी माना जाएगा।
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आयकर विभाग ने उस आयकर प्राधिकरण को निर्दिष्ट कर दिया है जिसके समक्ष देश-दर-देश रिपोर्ट पेश करने के लिए मूल निकाय और वैकल्पिक रिपोर्टिंग निकाय के विवरण को दर्ज किया जाएगा